The shiv chalisa in hindi Diaries
The shiv chalisa in hindi Diaries
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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति Shiv chaisa से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
मंत्र महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
Glory to Girija’s consort Shiva, that's compassionate into the destitute, who often guards the saintly, the moon on whose forehead sheds its lovely lustre, As well as in whose ears would be the pendants on the cobra hood.
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥